टीम इंडिया मैदान पर भद्दी गालियां खाते हैं , पत्थर की तरह भारी गेंदे अपने शरीर पर खाते हैं और अंत में जीत होती है क्रिकेट की। एक ऐसे रोमांचक मोड़ पर रुका हुआ खेल जहाँ आप जीतना भी चाहो और जीत के इस चक्कर में विकेट गँवा कर हारने का डर भी सताये और अंत में मैच ड्रॉ हो जाये, कुछ ऐसा ही हुआ तीसरे टेस्ट के आखिरी दिन। जिसमें टीम इंडिया हारी भी और जीती भी।
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पांचवें और अंतिम दिन चेतेश्वर पुजारा और ऋषभ पंत की शतकीय साझेदारी टूटने से जीत की उम्मीदें धूमिल और हार का खतरा मंडराने लगा, लेकिन हनुमा विहारी और रविचंद्रन अश्विन ने क्रीज पर जो पांव जमाए तो मैच को ड्रॉ करके ही दम लिया। इंडिया के कार्यवाहक कप्तान अजिंक्य रहाणे की टीम की यह ऑस्ट्रेलिया पर मनोवैज्ञानिक जीत थी।
विहारी ने हैम्सट्रिंग में खिंचाव के बावजूद अश्विन के साथ अंतिम सत्र में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की हर रणनीति को नाकाम करके उसकी जीत की उम्मीदों पर पानी फेरा। हनुमा ने लगभग चार घंटे क्रीज पर बिताकर अपने नाबाद 23 रन के लिए 161 गेंदें खेली जबकि अश्विन ने 128 गेंदों पर नाबाद 38 रन बनाए।
हनुमा ने पुजारा के साथ 31 और अश्विन के साथ मिलकर 120 गेंदों का सामना किया। हनुमा-अश्विन ने लगभग 42 ओवरों का सामना करके छठे विकेट के लिए 62 रन जोड़े। 1979-80 में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ 131 ओवर बल्लेबाजी कर मैच बचाया था। अब 40 साल बाद यह टीम भारतीय इतिहास में इस लिस्ट में छठे नंबर पर पहुंची।
ऋषभ पंत और पुजारा जीत की ओर ले जा रहे थे
भारत ने आज अंतिम दिन कप्तान अंजिक्य रहाणे (चार) का विकेट सुबह दिन के दूसरे ओवर में ही गंवा दिया था। बावजूद इसके जीत की रणनीति अपनाई। यही वजह थी कि पुजारा क्रीज पर पांव जमा रहे थे पंत बेखौफ बल्लेबाजी कर रहे थे। पंत और दुनिया के सर्वश्रेष्ठ आफ स्पिनर नाथन लियोन के बीच जंग दर्शनीय थी।
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ऋषभ ने शुरुआती लगभग 35 गेंद तक सतर्क रवैया अपनाया, लेकिन फिर लियोन के खिलाफ कदमों का इस्तेमाल करते हुए लॉन्ग ऑन पर छक्का और तीन चौके मारे। टिम पेन ने इसके बाद लियोन का छोर बदला, लेकिन पंत ने लॉन्ग ऑफ और लॉन्ग ऑन के ऊपर से उन पर दो और छक्के जड़ दिए। पुजारा ने भी इस ऑफ स्पिनर पर दो चौके मारे।
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