‘लव जिहाद’ पर उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा प्रस्तावित धर्मांतरण संबंधी बिल को शनिवार को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है। उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश के मसौदे को राज्यपाल से अनुमोदन के लिए बुधवार को राजभवन भेजा गया था। कैबिनेट की मंजूरी के बाद इस अध्यादेश के मसौदे को राज्यपाल के पास भेजा गया था।
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योगी आदित्यनाथ मंत्रिपरिषद की बैठक में मंगलवार को धर्मांतरण कानून के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद बुधवार को इसको राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया था। उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश के मसौदे को राज्यपाल से अनुमोदन के लिए बुधवार को राजभवन भेजा गया था। जिनको उन्होंने आज यानी शनिवार को मंजूरी दे दी है।
राज्यपाल से मंजूरी मिलते ही यह अध्यादेश के रूप में यूपी में लागू हो गया है।राज्यपाल की मंजूरी मिलते ही यह कानून प्रभावी हो गया है और अब ऐसा अपराध गैर जमानती माना जाएगा। अध्यादेश के अनुसार किसी एक धर्म से अन्य धर्म में लड़की का धर्म परिवर्तन सिर्फ एकमात्र प्रयोजन शादी के लिए किया जाता है तो ऐसा विवाह शून्य (अमान्य) की श्रेणी में लाया जा सकेगा।राज्यपाल के मंजूरी मिलने के बाद अब इस अध्यादेश को छह माह के भीतर विधानमंडल के दोनों सदनों में पास कराना होगा।
सामूहिक धर्म परिवर्तन पर 10 साल तक की सजा
अध्यादेश में नाम छिपाकर शादी करने वाले के लिए 10 साल की सजा का भी प्रावधान किया गया है. इसके अलावा गैरकानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन पर एक से 10 साल तक की सजा होगी. साथ ही 15 हजार तक का जुर्माना भी देना पड़ सकता है. इसके अलावा सामूहिक रूप से गैरकानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन करने पर जहां 10 साल तक सजा हो सकती है, वहीं 50 हजार तक जुर्माना भी देना पड़ सकता है.
बता दें योगी सरकार ने झूठ बोलकर, झांसा देकर या छल-प्रपंच कर धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए यह अध्यादेश लाया है। इसके लागू होने के बाद झांसा देकर, झूठ बोलकर या छल-प्रपंच करके धर्म परिवर्तन करने-कराने वालों के साथ सरकार सख्ती से पेश आएगी।
अगर सिर्फ शादी के लिए लड़की का धर्म बदला गया तो ऐसी शादी न केवल अमान्य घोषित कर दी जाएगी, बल्कि धर्म परिवर्तन कराने वालों को 10 साल तक जेल की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है
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