भास्कर दुबे
बीजेपी मिशन 2024: संघ और भाजपा ने अपनी योजना के तहत उत्तर से दक्षिण तक के यादव समाज को जोड़ने की मुहिम चला रखी है। आने वाले चुनाव में यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। बीते सात अप्रैल को सपा सांसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कानपुर आने के लिए आमंत्रित किया था. अखिल भारतीय यादव महासभा के अध्यक्ष रहे चौधरी हरिमोहन सिंह की पुण्यतिथि तो कानपुर में मनाई जानी है लेकिन इस आयोजन के बैनर, पोस्टर और होर्डिंग्स देश भर में लग गए हैं। उत्तर भारत के सभी प्रमुख शहरो के साथ ही दक्षिण भारत मे बंगलुरू, हैदराबाद, भुवनेश्वर, जैसे शहरों में भी कानपुर में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम वाली होर्डिंग्स वहां की स्थानीय भाषाओं में लगी हैं। यह कोई चुनावी रणनीति का हिस्सा तो नहीं?
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आगामी चुनाव में सपा का गढ़ ढहाने के लिए यह दौरा आयोजित किया गया है। जानकार लोग बताते हैं कि पिछली बार भी कानपुर के मेहरबान सिंह का पुरवा में यह आयोजन किया गया था। उस बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा और स्वतंत्रदेव सिंह समेत अनेक बड़े नेता भी इसमे शामिल हुए थे। ऐसा कहा जा रहा है कि मेहरबान सिंह का पुरवा हमेशा से समाजवादी गढ़ रहा है लेकिन पिछले वर्ष से इसका रंग अब केसरिया हो गया गया है। यह भी ध्यातव्य है कि चौधरी हरिमोहन सिंह के पुत्र चौधरी सुखराम सिंह यादव अभी 4 जुलाई को ही समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य के रूप में अवकाश प्राप्त किये हैं।
औपचारिक रूप से अभी भी उनको समाजवादी पार्टी का ही माना जायेगा। लेकिन विगत वर्ष से ही संघ परिवार और भाजपा से इस परिवार की निकटता ने अलग संदेश देना शुरू कर दिया है। सपा के गढ़ कहे जाने वाले एटा, इटावा, मैनपुरी, कन्नौज जैसे जिलों में इस समय प्रधानमंत्री के 25 जुलाई के कार्यक्रम की होर्डिंग्स देख कर यह कोई भी अनुमान लगा सकता है कि भाजपा और संघ ने यादव समाज को जोड़ने के लिए सपा के गढ़ में ही जबरदस्त घेरेबंदी कर दी है।
इसी बीच प्रधानमंत्री का यह दौरा नए सियासी गुल खिला सकता है। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि कार्यक्रम यद्यपि कानपुर में हो रहा है लेकिन उत्तर से दक्षिण भारत तक इसके प्रचार के पीछे रणनीति यही दिख रही है कि यादव समाज , खास कर इस समाज के युवाओं तक यह संदेश अवश्य पहुंच सके कि आने वाला समय अब सपा या अखिलेश यादव का नहीं है। यह 2024 के चुनावी परिणामों में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है। अब इस तथ्य पर सभी की प्रतीक्षा है कि प्रधानमंत्री 25 को अपने संबोधन में क्या क्या बोलने वाले हैं। असली विश्लेषण तो 25 को ही होगा। फिलहाल यह दिख रहा है कि बीते विधानसभा के चुनाव में यादव वोटों की भाजपा से दूरी को कम करने में संघ और भाजपा की यह मुहिम काफी हद तक सफल होती दिख रही है।