Explained : क्या संभव है विधानसभा चुनावों को टालना ? जानिए कब रद्द किए जाते हैं चुनाव
देश में कोरोना वायरस संक्रमण का नया वेरिएंट ओमीक्रोन काफी तेजी से अपने पैर पसार रहा है। कुछ ही दिनों के अंदर संक्रमण के नए मामलों की संख्या 350 से पार हो गई है। कई राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं। एक तरफ चुनाव की तैयारियां और दूसरी तरफ कोरोना की तीसरी लहर की संभावनाएं। आम जनता के दिलों में एक बार फिर से दूसरी लहर जैसी स्थिति होने का डर बन रहा है। बीते साल हुए पश्चिम बंगाल के चुनाव व यूपी ग्राम चुनाव में जो हालात हुए वह किसी से छुपा नहीं है।
अस्पतालों में भीड़, ऑक्सीजन की कमी, और फिर श्मशान में वेटिंग लाइन समेत लकड़ियों की कमी सोशल मीडिया पर बड़ा मुद्दा बना रहा। ऐसे में तीसरी लहर आने का डर स्वभाविक है! लेकिन क्या विधानसभा चुनावों को रोककर तीसरी लहर से बचने में मदद मिल सकती है? और क्या सच में विधानसभा चुनाव को रोकने का कोई प्रावधान है? क्या कभी किसी चुनाव को रोका गया है? चुनाव रोककर राष्ट्रपति शासन लगना कितना सही है? और किन धाराओं के तहत राष्ट्रपति शासन लग सकता है? यह सभी सवाल इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा की गई अपील के बाद उठते नजर आ रहे हैं। चलिए इन सभी बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
उठ रही है चुनाव स्थगित करने की मांग
राज्यों में कोरोना संक्रमण को लेकर भले ही एहतियात बरता जा रहा हो और नाइट कर्फ्यू जैसे सख्त एक्शन सरकार द्वारा लिए जा रहे हों, फिर भी दिन में रैलियां और चुनाव प्रचार पूर्ण रूप से हो रहा है। हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को टालने की अपील की गई। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त द्वारा कहा गया कि अगले हफ्ते उत्तर प्रदेश दौरे पर हालातों की समीक्षा की जाएगी। वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट में भी रैलियों और चुनावी जमावड़ों पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की गई है। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी चुनाव टालने की आशंका जताई है।
क्या टाला जा सकता है विधानसभा चुनाव ?
चुनाव आयोग किसी भी चुनाव को अपने हिसाब से स्वतंत्र तरीके से कराने की ताकत रखता है। यह स्वतंत्रता चुनाव आयोग को संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत मिली है। चुनाव आयोग लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 52,57,58 और 153 के तहत किसी भी चुनाव को टाल या रद्द कर सकता है।
जानिए किन हालातों में रद्द किया जा सकता है चुनाव?
- वोटिंग के समय यदि दंगा फसाद या कोई प्राकृतिक आपदा आ जाती है तो चुनाव रद्द करने का प्रावधान है। यह धारा 57 के तहत किया जाता है। अगर कुछ ही जगहों पर ऐसी स्थिति है तो पीठासीन अधिकारी टालने का फैसला लेता है। लेकिन अगर पूरे राज्य में ही दंगे फसाद होने शुरू हो जाए या बड़ी आपदा आ जाए तो चुनाव आयोग चुनाव टालने का फैसला लेता है।
कोरोना वायरस महामारी भी एक आपदा है, लिहाजा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव 2022 धारा 57 के तहत रोका या रद्द किया जा सकता है।
- यदि चुनाव का नामांकन भरने के आखरी दिन सुबह 11:00 बजे के बाद किसी उम्मीदवार की मृत्यु हो जाती है तो धारा 52 के प्रावधान के तहत चुनाव को रोका जा सकता है। लेकिन उसमें भी कुछ नियम व शर्तें लागू होती हैं।
- चुनाव आयोग प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 58 के तहत यह ताकत रखता है,कि यदि कहीं पर बूथ कैपचरिंग का कोई मामला है तो चुनाव को रद्द किया जा सकता है।
- यदि कोई राजनैतिक दल वोटर्स को लुभाने के लिए पैसे का उपयोग करता है। या किसी को घूस देकर खरीदने का प्रयास करता है तो चुनाव आयोग इस स्थिति में चुनाव टालने या रद्द करने में सक्षम है। संविधान के अनुच्छेद 324 में ये प्रावधान है.
- अगर किसी सीट पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई हो तो चुनाव आयोग चुनाव को रद्द या टाल सकता है।
एक साल के लिए बढ़ सकता है विधानसभा कार्यकाल
संविधान में एक ऐसा भी प्रावधान है कि किसी भी राज्य की विधानसभा का कार्यकाल 1 साल के लिए आगे बढ़ सकता है। बशर्ते यह है कि देश में इमरजेंसी लागू हो लेकिन अभी ऐसा होना संभव नहीं है क्योंकि इमरजेंसी की स्थिति देश में नहीं है।
अगर चुनाव टला तो कौन संभालेगा कार्यभार? क्या आगे बढ़ जाएगी सत्ता ?
बिना चुनाव के विधानसभा कार्यकाल आगे नहीं बढ़ सकता है। विधानसभा कार्यकाल को आगे बढ़ाने के लिए चुनाव होने जरूरी है। उत्तर प्रदेश में मौजूदा विधानसभा चुनाव का कार्यकाल 14 मार्च 2022 को खत्म होने वाला है। अगर उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 टाले जाते हैं तो यहां,व अन्य राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
हमारे संविधान में एक बार में 6 महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाने का प्रावधान है और जरूरत पड़ने पर उसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। राष्ट्रपति शासन लगाने की बात, तब बढ़ी जब भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस पर जोर दिया। अपने एक बयान में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा कर चुनाव को 6 महीने के लिए टाल सकती है और फिर सितंबर में चुनाव करवा सकती है उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा होता है तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी।
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